INB एजेंसी, रिपोर्ट। जनसंघ से लेकर भाजपा के शुरूआती संघर्ष के हनुमान कहे जाने वाले जसवंत सिंह जसोल भारत के राजनीति में एक बड़ा नाम है जिनकी देश ही विदेश में भी अच्छी पैठ रही। भाजपा से जुड़े होने के बावजूद भी उन पर कोई जाति-धर्म या हिन्दू-मुस्लिम के नेता होने का टेग नहीं था उनका दुश्मन देश पाकिस्तान में भी बड़ा सम्मान था। भारत की राजनीति में देखें तो वे भारत की हरेक पार्टी के लिए हमेशा सम्माननीय रहे, कभी किसी पार्टी ने जसोल का व्यक्तिगत विरोध नहीं किया। वे देश के वित्त, विदेश, रक्षा जैसे बड़े मंत्रालयों में मंत्री रहे पर एक भी घोटाले का आरोप उन पर कभी नहीं रहा। उन्होंने जन संघ से अपनी राजनीतिक शुरुआत की थी फिर भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं जसोल। राजनीति के अंतिम पड़ाव 2014 में उन्होंने अपने क्षेत्र बाड़मेर जैसलमेर से चुनाव लड़ने की पार्टी से मंशा जाहिर की.. पर पार्टी ने कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आए कर्नल सोनाराम चौधरी को टिकट दे दिया.. वे इस घटना से बहुत ही भावुक हो गए थे.. फिर समर्थकों ने उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़वाया और चार लाख के करीब उन्हें वोट मिले.. पर वे जीत नहीं पाए..
आज देश भर में विभिन्न पार्टियों से जुड़े नेताओं द्वारा जसोल को उनके जन्म जयंती के अवसर पर श्रद्धा पूर्वक याद किया गया।