बालोतरा। दरअसल सिवाना तहसील के पादरू गांव में भूर सिंह पिता खीमसिंह धवेचा भादरवा बेरा पादरू के यहां 16 अप्रैल 2025 को बेटी की शादी थी। जालोर जिले के जाखड़ी गांव के जितेन्द्र सिंह(शारीरिक शिक्षक), पिता कालुसिंह देवड़ा अपने बेटे रघुनाथ सिंह देवड़ा की बारात लेकर पादरू पहुंचे।
प्रायः समाज में नशा, दहेज़, टिका आदि कई तरह की कुरितियां देखी जाती है। पादरू में आयोजित हुए इस शादी समारोह में कुछ अनोखा ही देखने को मिला। बेटी की शादी में पीहर पक्ष ने ₹5 लाख टिके स्वरूप व ₹4 लाख दहेज़ स्वरूप राशि बेटी के ससुराल पक्ष को की थी अर्पित। आगे पढ़ें पूरी ख़बर

हेडलाइन्स

  • दुल्हे के दादा कालु सिंह देवड़ा ने लौटाई 5 लाख टीके की राशि
  • वर पक्ष ने दहेज के रूप में ली हुई 4 लाख की राशि भी ससम्मान वधू पक्ष को वापस लौटाई
  • पादरू राजपूत समाज में अफीम-डोडा पर है पहले से प्रतिबंध
फ़ोटो – प्रकाश पुरोहित।

दुल्हे के दादा कालु सिंह देवड़ा ने लौटाई 5 लाख रुपए टीके की राशि

बारात स्वागत की रस्म के समय आयोजित समारोह में बेटी के बड़े पिता दुर्ग सिंह ने 5 लाख रूपए ससम्मान दुल्हे को टिका दस्तुर के रूप में समर्पित किए, जो कि दुल्हे रघुनाथ सिंह के दादा कालु सिंह देवड़ा ने टिके की राशि स्वरूप दिए रुपए पुनः ससम्मान वापस लौटा दिए। प्रायः राजपूत समाज में देखा जाता है कि टिका दस्तुर की राशि को बड़ी शान से अपने पोकेट में डाल देते हैं लेकिन देवड़ा परिवार ने राशि वापस लौटा कर पैसे को नहीं रिश्ते को महत्व देने की बात कही। जो अपने आप में अनोखी पहल थी।

फ़ोटो – प्रकाश पुरोहित।

वर पक्ष ने दहेज के रूप में ली हुई 4 लाख की राशि भी ससम्मान वधू पक्ष को वापस लौटाई

प्रायः राजपूत समाज में दहेज़ प्रथा को प्रमुखता दिखावे के साथ से निभाया जाता है। यहां तक कि वर पक्ष द्वारा पहले से वधू पक्ष को दहेज़ की लिस्ट भी थमाई जाती है साथ ही दहेज़ के रूप में और कई गाड़ी आदि की भी मांग की जाती है। ऐसा प्रायः बड़े व पेशेवर परिवारों में अमूमन देखने को मिलता हैं। इस सबसे हटकर जब बेटी के बड़े पिता दुर्ग सिंह ने दहेज के रूप में दुल्हे के दादा कालु सिंह देवड़ा को 4 लाख राशि सौंपी तो कालुसिंह देवड़ा ने वह राशि ससम्मान वापस लौटा दी। ये पहल सबसे हटकर थी इसलिए सभी ने इस सुंदर व कठोर निर्णय की सराहना की।

पादरू राजपूत समाज में अफीम-डोडा पर है पहले से प्रतिबंध

आज प्रायः शासन प्रशासन द्वारा नशे के विरुद्ध अभियान चला कर शादी समारोह में दस्तक देकर नशेड़ियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। जबकि पादरू के राजपूत समाज में पीछले एक दशक से भी ज्यादा समय से शुभ-अशुभ किसी भी आयोजन के मौके पर अफीम-डोडा आदि मादक पदार्थ पूर्णतः बंद है। ऐसे में शासन प्रशासन द्वारा चलाई जा रही इस मुहिम की सभी सकारत्मक लोगों द्वारा सराहना की जा रही हैं।

Report – Mohan Singh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *