राजस्थान में वन नेशन, वन इलेक्शन की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन के लिए एक नई कैबिनेट सब कमेटी की है गठित। इस कमेटी की अध्यक्षता करेंगे शिक्षामंत्री मदन दिलावर। सूत्रों का मानना है कि राज्य सरकार ने यह कदम ग्रामीण प्रशासन को और अधिक प्रभावी एवं सशक्त बनाने और विकास कार्यों में तेजी लाने के उद्देश्य से लिया है।

समिति राज्य में प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण एवं समीक्षा करेगी।

INB एजेंसी, रिपोर्ट जयपुर। राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन के लिए एक मंत्रिमण्डलीय उप समिति का गठन किया है। यह समिति राज्य में प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण और समीक्षा करेगी। मुख्यमंत्री की अनुमति से गठित इस समिति के संयोजक मदन दिलावर, मंत्री, विद्यालयी शिक्षा विभाग होंगे। समिति के अन्य सदस्य में गजेन्द्र सिंह, मंत्री, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, अविनाश गहलोत, मंत्री, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सुमित गोदारा, मंत्री खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग तथा जवाहर सिंह बेढम, राज्य मंत्री, गृह विभाग शामिल हैं।

समिति को यह अधिकार भी दिया गया है कि यदि प्रस्ताव मानदंडों के अनुसार पूरा नहीं होता, तो प्रशासनिक दृष्टिकोण से उसे शिथिल कर स्वीकृति दी जा सकती है। वहीं, यदि प्रस्ताव व्यापक जनहित में उपयुक्त नहीं प्रतीत होते, तो उन्हें अस्वीकृत भी किया जा सकता है। समिति की ओर से अनुशंषित प्रस्ताव मुख्यमंत्री को प्रस्तुत किए जाएंगे। इस समिति का प्रशासनिक विभाग पंचायती राज विभाग होगा और शासन सचिव, पंचायती राज विभाग इसके सदस्य सचिव होंगे।

पंचायतीराज संस्थाओं के पुनर्गठन और परिसीमन के लिए अधिसूचना हुई जारी

पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन के लिए कलेक्टर को दिए गए दिशा निर्देश, बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर के लिए ग्राम पंचायत पुनर्गठन हेतु जनसंख्या 2000 से 4000, अन्य जिलों के लिए 3000 से 5500 तक रखा जनसंख्या का अनुपात, न्यूनतम जनसंख्या 3000 होना और अधिकतम जनसंख्या 5500 होना अनिवार्य।

संस्थाओं के पुनर्गठन का क्या है उद्देश्य?

इस पहल का मुख्य उद्देश्य पंचायत स्तर पर बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था बनाकर और ग्रामीण विकास को ओर अधिक प्रभावी बनाना है। पुनर्गठन के तहत ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों की सीमाओं का भी पुनर्निर्धारण किया जाएगा, जिससे आमजन के मुख्यालय आवागमन एवं विकास कार्यों में तेजी लाई जा सके और साथ ही जनता का प्रशासन के साथ बेहतर जुड़ाव हो सके।

कैसे होगा ग्राम पंचायतों का पुनर्गठन?

सनद रहे कि राज्य सरकार पंचायती राज अधिनियम, 1994 के तहत पुनर्गठन के लिए प्रस्ताव तैयार करेगी। इन प्रस्तावों को जनता के अवलोकन और सुझावों के लिए रखा जाएगा। पुनर्गठन के बाद, ग्राम पंचायतें एक पंचायत समिति से दूसरी पंचायत समिति में स्थानांतरित हो सकती हैं। इस प्रक्रिया में ज़िला कलेक्टर को अधिकार प्रदान किए जाएंगे ताकि वह ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन को निर्बाध रूप से लागू कर सकें।

पंचायतीराज में पुनर्गठन से ग्रामीण विकास को मिलेगी मजबूती

राज सूत्रों का मानना है कि कैबिनेट सब कमेटी जल्द ही अपनी बैठक करेगी आयोजित, जिसमें प्रस्तावों पर चर्चा और सुझाव भी लिए जाएंगे। पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन के इस निर्णय से राजस्थान का ग्रामीण विकास मॉडल और मजबूत होने की उम्मीद है। राज्य सरकार के अनुसार, पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन से ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं का कार्यान्वयन अधिक सुचारु और प्रभावी होगा। इस पहल से ग्रामीण जनता को बेहतर प्रशासनिक सेवाएं मिलेंगी, और विकास कार्यों में तेजी आएगी। मुख्यालय से ज्यादा दूर बैठे लोगों को अपने नजदीकी पंचायत मुख्यालय से जोड़ा जा सकेगा, जिससे हर क्षेत्र में बेहतर विकास की उम्मीद जगेगी।

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