INB एजेंसी रिपोर्ट। भारत ने 157 अन्य देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा में युद्धग्रस्त गाजा पट्टी में ‘तत्काल, बिना शर्त और स्थायी संघर्ष विराम’ के प्रस्ताव का समर्थन किया है। महासभा ने कल दो प्रस्तावों को भारी बहुमत से मंजूरी दी। पहला प्रस्ताव गाजा में संघर्ष विराम का आह्वान करता है और दूसरा नीयर ईस्ट-यू.एन.आर.डब्ल्यू.ए में फलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और निर्माण कार्य एजेंसी का समर्थन करता है, जिस पर इजरायल प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहा है।
तत्काल संघर्षविराम की मांग करने वाले पहले प्रस्ताव को 158 मतों के साथ पारित किया गया, जिसमें अमरीका, इजरायल, अर्जेंटीना, चेक गणराज्य, हंगरी, नाउरू, पापुआ न्यू गिनी, पराग्वे और टोंगा सहित नौ मत इसके खिलाफ थे और 13 देश अनुपस्थित थे।
संयुक्त राष्ट्र राहत और निर्माण कार्य एजेंसी के जनादेश का समर्थन करने वाले दूसरे प्रस्ताव को 159 मत पक्ष में, नौ मत इसके खिलाफ और 11 देश अनुपस्थित थे। ये प्रस्ताव 193 सदस्यों की महासभा में दो दिन की बहस के बाद आए हैं, जहाँ भाषणों में इज़रायल और हमास के बीच 14 महीने से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया। प्रतिनिधियों ने बढ़ते संकट से निपटने के लिए गाजा में निर्बाध मानवीय पहुँच का भी आह्वान किया। भारत ने सात अक्टूबर के हमलों की निंदा की है, उन्हें आतंकी कृत्य बताया है, और सभी बंधकों की तत्काल और बिना शर्त रिहाई पर ज़ोर दिया है।
साथ ही, भारत ने बार-बार संघर्षविराम, निरंतर मानवीय सहायता, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने और संयम, संवाद और कूटनीति के प्रति वचनबद्धता की आवश्यकता पर जोर दिया है। भारत ने पश्चिम एशिया में बढ़ती हिंसा के बारे में भी चिंता व्यक्त की है, बार-बार सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान करने का आग्रह किया है। परन्तु, महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, फिर भी वैश्विक राय के प्रतिबिंब के रूप में वे महत्वपूर्ण हैं। महासभा में यह प्रस्ताव अमरीका द्वारा 20 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को वीटो करने के बाद आया, जिसमें गाजा में तत्काल संघर्षविराम का आह्वान किया गया था।