INB एजेंसी, रिपोर्ट नई दिल्ली। आप विधायक ने अपने पत्र में लिखा कि

मैं अब्दुल रहमान, विधायक, सीलमपुर विधानसभा, आज भारी मन से आम आदमी पार्टी की सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा देने का निर्णय ले रहा हूं। यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन पार्टी के नेतृत्व और नीतियों में जिस तरह से मुसलमानों और अन्य वंचित समुदायों की उपेक्षा की गई है, उसके बाद यह मेरा नैतिक कर्तव्य बन गया है।

मुसलमानों के प्रति पार्टी की बेरुखी का लगाया आरोप

उन्होंने लिखा कि पार्टी की स्थापना के समय मैंने इसे एक ऐसी पार्टी माना था, जो धर्म, जाति, और समुदाय से ऊपर उठकर जनता की सेवा करेगी। लेकिन बीते वर्षों में आम आदमी पार्टी ने बार-बार यह साबित किया है कि वह केवल वोट बैंक की राजनीति करती है और जब किसी समुदाय के अधिकारों की रक्षा की बात आती है, तो पार्टी चुप्पी साध लेती है।

दिल्ली दंगों के दौरान आपकी सरकार का रवैया बेहद निराशाजनक रहा। दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए न कोई ठोस कदम उठाए गए, न ही कोई सहानुभूति प्रकट की गई।

दंगों में झूठे आरोपों में फंसाए गए हमारे साथी ताहिर हुसैन को न सिर्फ पार्टी से निष्कासित किया गया, बल्कि उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया।

दिल्ली मरकज़ और मौलाना साद को कोरोना महामारी के दौरान निशाना बनाया गया। पार्टी ने इस मामले पर न तो कोई रुख अपनाया और न ही मुसलमानों के खिलाफ किए गए भ्रामक प्रचार का खंडन किया।

हाल ही में, संबल दंगों जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आपने एक द्वीट तक करना जरूरी नहीं समझा।

पार्टी का दावा था कि वह ईमानदार और पारदर्शी राजनीति करेगी, लेकिन आज वह भी अन्य दलों की तरह सत्ता की राजनीति में उलझ चुकी है।

विधायक अब्दुल रहमान, सलीमपुर, दिल्ली।

आज मैं आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं। पार्टी ने सत्ता की राजनीति में उलझकर मुसलमानों के अधिकारों को नजरअंदाज किया, अरविंद केजरीवाल ने हमेशा जनता के मुद्दों से भागकर अपनी राजनीति की। इंसाफ़ और हक़ की लड़ाई लड़ता रहूँगा। – अब्दुल रहमान, विधायक सीलमपुर, दिल्ली।

आप नेता तयब महराब खान, राजस्थान।

तेरे को कचरे से उठाकर विधायक बनाया था मुसलमानों की ख़िदमत करने के लिए वो तूने करी नहीं इसलिए तेरी टिकट काटी गई है। पाँच साल सरकार में रहा तब तेरे को मुसलमान याद नहीं आए, ना ही अरविंद केजरीवाल जी में कोई कमी नज़र आई ??
तेरी बीवी को निगम का चुनाव लड़ाया तब तक पार्टी सही है तेरी टिकट कटते ही तेरे को सब याद आया है।
ना तू मुसलमानों का है ना तू पार्टी का है, तू सिर्फ़ तेरे मतलब का है – तयब महराब खान, संयुक्त सचिव, आम आदमी पार्टी, राजस्थान

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