बालोतरा। कल्याणपुर प्रधान उम्मेद सिंह आराबा की देह आज पंचतत्व में विलीन हो गई..

कोर्णावटी मगरावटी के बड़ी सख्शियत भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याणपुर प्रधान उम्मेद सिंह आराबा की देह 11:00 बजे पंचतत्व में विलीन हुई

क्षेत्र के हजारों की तादाद में उपस्थित जन समुदाय ने सजल आंखों से उम्मेदसिंह को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की।

नागणेची माता के अनन्य भक्त

नागणेची माता मंदिर नागाणा 1987 के दौर में एक छोटा सा मंदिर था। जोधपुर राज परिवार ने उम्मेदसिंह पर विश्वास किया और मां के अनन्य भक्त उम्मेदसिंह ने अपनी पूरी जिंदगी इस मंदिर की सेवा में लगा दी। नागोणा मंदिर से अखिल भारतीय नागणेच्या माता मंदिर बनने के सफर में उम्मेदसिंह की श्रद्धा, निष्ठा और उनके समर्पण को नागणेची माता के देश-विदेश में बसे तमाम भक्त जानते है। आप शुरू से नागाणा ट्रस्ट के मैनेजिंग की मुख्य भूमिका में रहे।

बेदाग छवि का राजनीति जीवन

20-21 साल की उम्र में ही आराबा के सरपंच बने। साधारण परिवार के इस असाधारण प्रतिभा का रुतबा ही अलग था। रेबन का चश्मा, लंबे बाल, रौबदार चेहरा और सफेद झक्क कपड़े। यह बात 1984 के आसपास की है। एक नेता आने पर उसके आजूबाजू खड़े होकर फोटो खिंचवाने पर युवाओं को गौरव होता है। मैने देखा है अटलबिहारी वाजपेयी, भैरोसिंह शेखावत, राजमाता विजयराजे सिंधिया सहित तमाम उस दौर के नेता का बाड़मेर जिले का पहला ठहराव आराबा में होता था और उम्मेदसिंह आराबा हमारी अंगुल पकडक़र खड़ा कर देते थे पास में, जब समझ आई तब पता चला कि हम अटलजी, भैरोसिंहजी और तमाम उस दौर के अनगिनत जनसंघ काल के नेताओं को देख चुके है। जवान उम्मेदसिंह को चाहने वालों में जोधपुर का राज परिवार, जयपुर का राज परिवार और जनसंघ के तमाम पुराने नेता रहे।
भारत के लोकप्रिय राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने जब पोकरण परमाणु परीक्षण किया तो उसी दौर में आराबा में सुजलम् प्लांट स्थापित किया। कलाम उस दौर में आराबा में रुकते थे और तब वे रक्षा मंत्रालय के प्रमुख वैज्ञानिक थे। जब कलाम साहब 2002 में बाड़मेर आए तो उन्होंने उम्मेदसिंह आराबा को व्यक्तिगत बुलाया।

भाजपा का सिरमौर नाम व बड़े नेताओं में पैठ..

भाजपा के तमाम उन नेताओं में जिन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी को दिया हों उसमें गिनेचुने लोगों में उम्मेदसिंह रहे। कोरणावटी ही नहीं पूरे बालोतरा इलाके में उम्मेदसिंह मंच पर आकर भाषण देते तो उस जमाने में जब बोलने वाले कम और सुनने वाले ज्यादा थे, उम्मेदसिंह को सुनने के लिए कान धरे जाते थे। तालियां उनके डॉयलोग पर ही नहीं बजती अकड़ की चाल, रौबीला अंदाज और फिर चेहरे पर गंभीरता और वाक चातुर्य उन्हें औरों से अलग करता था। वे खरी-खरी कहने से नहीं चूकने वाले नेताओं में थे, चाहे खुद का नुकसान हो जाए। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, तमाम मुख्यमंत्री सहित अनगिनत लोगों के संपर्क में रहे उम्मेदसिंह अपनी पार्टी ही नहीं कांग्रेस के नेताओं के लिए भी ऐसा नाम रहे जिसको आदरपूर्वक लिया जाता और राजनीतिक सलाह के लिए भी उनके पास यदाकदा पहुंचा करते नेता।

अंतिम दर्शन में हजारों की संख्या में पहुंचे लोग।

अंतिम दर्शन के पचपदरा विधायक अरुण चौधरी, पूर्व विधायक मदन प्रजापत, जोधपुर पूर्व राजपरिवार के प्रतिनिधि के रूप में मेजर जनरल शेर सिंह, ब्रिगेडियर शक्ति सिंह, कल्याण सिंह मेड़तिया, उपप्रधान श्रवण सिंह राजपुरोहित, मनोहर सिंह कोरना, देवराज सिंह पाटोदी, हरिश्चंद्र सिंह जसोल, सरपंच दोला राम कुआ, एडवोकेट वीरम सिंह थोब, मेहताब सिंह, मूला राम मूढ़, माणक राम, करना राम बागलोप, राजू सिंह चारलाई, भोपाल सिंह मंडली, नैना राम आराबा, मोहन सिंह तिरसिंगड़ी, जोग सिंह कांकराला, हरी सिंह सुरपुरा, थान सिंह डोली, विकास अधिकारी महेश सिंह, मुल्तान सिंह डोली, देवेंद्र करन कनाना, तिला राम जाट, नागाणा मन्दिर मैनेजर रणवीर सिंह, सता राम धतरवाल, महेंद्र सिंह बागलोप, जीवराज सिंह आराबा, पूर्व सरपंच गोविंद सिंह, नरपत सिंह राजपुरोहित इत्यादि उपस्थित थे

भाजपा के जिला अध्यक्ष बाबू सिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में देह पर भाजपा का झंडा ओढ़ाया गया।

रिपोर्ट - दौलत सिंह मुंगेरिया 

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