वरिष्ठ पत्रकार एवं न्यूज़ एडिटर ‘रतन दवे’ की वाल से साभार..
कल्याणपुर। सादर श्रद्धांजलि..कोरणावटी के शेर कोरणावटी, बाड़मेर के प्रवेश के गांव आराबा में वाकई में एक शेर ने जन्म लिया था। उस शेर का नाम था उम्मेदसिंह आराबा..।
प्रभावी राजनीतिक जीवन
20-21 साल की उम्र में ही आराबा के सरपंच बने। साधारण परिवार के इस असाधारण प्रतिभा का रुतबा ही अलग था। रेबन का चश्मा, लंबे बाल, रौबदार चेहरा और सफेद झक्क कपड़े। यह बात 1984 के आसपास की है। एक नेता आने पर उसके आजूबाजू खड़े होकर फोटो खिंचवाने पर युवाओं को गौरव होता है। मैने देखा है अटलबिहारी वाजपेयी, भैरोसिंह शेखावत, राजमाता विजयराजे सिंधिया सहित तमाम उस दौर के नेता का बाड़मेर जिले का पहला ठहराव आराबा में होता था और उम्मेदसिंह आराबा हमारी अंगुल पकडक़र खड़ा कर देते थे पास में, जब समझ आई तब पता चला कि हम अटलजी, भैरोसिंहजी और तमाम उस दौर के अनगिनत जनसंघ काल के नेताओं को देख चुके है। जवान उम्मेदसिंह को चाहने वालों में जोधपुर का राज परिवार, जयपुर का राज परिवार और जनसंघ के तमाम पुराने नेता रहे।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति कलाम उनके घर रुके
भारत के लोकप्रिय राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने जब पोकरण परमाणु परीक्षण किया तो उसी दौर में आराबा में सुजलम् प्लांट स्थापित किया। कलाम उस दौर में आराबा में रुकते थे और उम्मेदसिंह के घर पर, तब वे रक्षा मंत्रालय के प्रमुख वैज्ञानिक थे। जब कलाम साहब 2002 में बाड़मेर आए तो उन्होंने उम्मेदसिंह अराबा को व्यक्तिगत बुलाया।
नागणेची माता के अनन्य भक्त
नागणेची माता मंदिर नागाणा 1987 के दौर में एक छोटा सा मंदिर था। जोधपुर राज परिवार ने उम्मेदसिंह पर विश्वास किया और मां के अनन्य भक्त उम्मेदसिंह ने अपनी पूरी जिंदगी इस मंदिर की सेवा में लगा दी। नागोणा मंदिर से अखिल भारतीय नागणेच्या माता मंदिर बनने के सफर में उम्मेदसिंह की श्रद्धा, निष्ठा और उनके समर्पण को नागणेची माता के देश-विदेश में बसे तमाम भक्त जानते है।
भाजपा का सिरमौर नाम
भाजपा के तमाम उन नेताओं में जिन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी को दिया हों उसमें गिनेचुने लोगों में उम्मेदसिंह रहे। कोरणावटी ही नहीं पूरे बालोतरा इलाके में उम्मेदसिंह मंच पर आकर भाषण देते तो उस जमाने में जब बोलने वाले कम और सुनने वाले ज्यादा थे, उम्मेदसिंह को सुनने के लिए कान धरे जाते थे। तालियां उनके डॉयलोग पर ही नहीं बजती अकड़ की चाल, रौबीला अंदाज और फिर चेहरे पर गंभीरता और वाक चातुर्य उन्हें औरों से अलग करता था। वे खरी-खरी कहने से नहीं चूकने वाले नेताओं में थे, चाहे खुद का नुकसान हो जाए।
जान-पहचान और ओळखाण का खजाना
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, तमाम मुख्यमंत्री सहित अनगिनत लोगों के संपर्क में रहे उम्मेदङ्क्षसह अपनी पार्टी ही नहीं कांग्रेस के नेताओं के लिए भी ऐसा नाम रहे जिसको आदरपूर्वक लिया जाता और राजनीतिक सलाह के लिए भी उनके पास यदाकदा पहुंचते।
चिरयुवा75 की उम्र में भी उनको चिरयुवा कहा जाएगा। आज की पीढ़ी के 26 साल के नेता के साथ भी जब बैठते तो ऐसा कभी अहसास नहीं करवाया कि वे बड़े है। आदर-मान और सम्मान के साथ बातचीत का अंदाज रहा।
जो जीया है…वो जीएगा तब तक याद रखेगा
ये तय बात है कि 75-76 साल के आदरणीय उम्मेदसिंह आराबा के साथ किसी ने कुछ पल बिताए है या साथ रहा है, शर्तियां वो उनको जब तक जीएगा याद रखेगा। रविवार सुबह 10 बजे आदरणीय पंचतत्व में विलिन हो जाएंगे। ये चेहरा फिर कभी नहीं देख भाएंगे। आते हुए को आवकारा और मान सम्मान देने वाली यह कडक़ती, गरजती और रौबदार आवाज, अंदाज, कडक़ धोती, गोल साफा, गहरा रंग, रेबन का चश्मा और उस पर ठसक से चलते उम्मेदसिंह आराबा मेरे जीवन की कभी न भुलाने वाली शख्सियत है। वो एक स्थान शून्य कर गए है, ईश्वर आपकी आत्मा को चिरस्थाई शांति दे। जीवन-मरण के इस सफर में यदि ईश्वर ने ऐसी कोई व्यवस्था की हों तो मेरी परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना है, आप फिर हमसे मिलें…सादर श्रद्धांजलि आदरणीय मामोसा।
अंतिम संस्कार में देशभर के बड़े नेताओं सहित आम आवाम पहुंचेंगे अंतिम दर्शन को.. 15 दिसम्बर 2024, रविवार सुबह 10 होगा अंतिम संस्कार..