राजस्थान के दौसा में हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी और डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को हार का सामना करना पड़ा। डॉ. मीणा ने हार का जिम्मेदार ‘गद्दारों’ को बताया है और कहा है कि भीतरघात की वजह से उनके भाई चुनाव हार गए। वहीं, जगमोहन मीणा ने भी कहा है कि उनके साथ बेईमानी हुई है। जानते हैं भाई जगमोहन की हार पर बाबा कैसे भावुक हुए और गद्दारों कौन है?

डॉ. किरोड़ीलाल मीणा उपचुनाव में भाई की हार से हुए भावुक

बाबा ने जगमोहन की हार का ठीकरा ‘गद्दारों’ पर फोड़ा

कहा- गैरों में कहां दम था, मुझे तो सदा ही अपनों ने ही मारा

विधायक डॉ. किरोड़ी लाल मीणा।

INB एजेंसी जयपुर। राजनीति के सूरमा माने जाने वाले वरिष्ठ नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को इस बार के उपचुनाव में भारी निराशा मिली। उनके भाई जगमोहन मीणा दौसा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में थे। अपने भाई को जिताने के लिए डॉ. मीणा ने एड़ी चोटी का जोर लगाया। टिकट मिलने से लेकर मतदान होने तक उन्होंने विधानसभा क्षेत्र में डटे रहे। केवल एक बार जयपुर आए, बाकी दिन चुनाव प्रचार में ही व्यस्त रहे लेकिन अपने भाई को जीत नहीं दिला सके। हालांकि जीत का अंतर बहुत बड़ा नहीं था लेकिन हार तो हार होती है। चाहे वह एक वोट से भी क्यों ना हो। अपने भाई जगमोहन की हार के बाद किरोड़ी लाल मीणा ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट कर निराशा जताई। बाबा ने इसमें हार का ठीकरा कुछ गद्दारों के सिर फोड़ा है।
डॉ. मीणा ने गद्दारों को ठहराया हार का जिम्मेदार
भाजपा प्रत्याशी जगमोहन मीणा की हार के बाद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक निराशाजनक पोस्ट लिखी। इस पोस्ट में उन्होंने हार का जिम्मेदार गद्दारों को बताया। उन्होंने कहा कि भीतरघात की वजह से वे अपने भाई को चुनाव नहीं जिता पाए। उधर भाजपा प्रत्याशी रहे जगमोहन मीणा ने कहा कि भितरघात हुआ है, बेईमानी हुई है। साथ में चलकर छूरा नहीं घोंपना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब अपने ही बेवफा हो जाए तो फिर क्या किया जा सकता है। उन्होंने लिखा कि ‘जिस भाई ने परछाईं बनकर जीवन भर मेरा साथ दिया, मेरी हर पीड़ा का शमन किया, उऋण होने का मौका आया तो कुछ गद्दारों के कारण मैं उसके ऋण को चुका नहीं पाया।’
आखिर कौन है गद्दार है जिनके कारण हारे जगमोहन मीणा
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा और उनके भाई जगमोहन मीणा ने पूरी ताकत से चुनाव लड़ा था। दोनों भाइयों ने जीत का पूरा जोर लगाया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी दौसा में चुनावी सभा की लेकिन जीत का जिम्मा केवल डॉ. किरोड़ीलाल मीणा पर ही था। प्रदेश भाजपा के बड़े नेताओं ने जिस तरह से खींवसर, झुंझुनूं, रामगढ़ की विधानसभा सीट के लिए जो ताकत लगाई। वह ताकत दौसा में नहीं लगाई। दौसा में जीत का पूरा दारोमदार अकेले डॉ. किरोड़ी लाल मीणा पर ही था। ऐसे में वे अकेले किला नहीं भेद सके। चुनाव में हार के बाद डॉ. मीणा ने किसी एक नेता की ओर इशारा करके हार का ठीकरा नहीं फोड़ा बल्कि सामूहिक रूप से कहा कि भितरघात की वजह से जीत नहीं पाए।

जगमोहन मीणा की हार की बड़ी वजह यह रही
दौसा विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा के कई स्थानीय नेताओं की मांग की थी कि टिकट किसी स्वर्ण वर्ग के नेता को मिलनी चाहिए। टिकट वितरण से पहले कई नाम भी सामने आए जो टिकट के लिए बड़े दावेदार माने जा रहे थे लेकिन भाजपा ने डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को खुश करने के लिए उनके भाई को टिकट दिया। चूंकि डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने कई मुद्दों को लेकर अपनी ही पार्टी की सरकार के नाक में दम कर रखा था। मंत्री पद से इस्तीफा भेजकर भी डॉ. मीणा ने दबाव बनाने का प्रयास किया। आखिर भाजपा हाईकमान ने उनके भाई जगमोहन मीणा को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया। पार्टी के इस फैसले से स्वर्ण वर्ग के मतदाताओं में नाराजगी छा गई। विरोध के स्वर तो नहीं उठे लेकिन साइलेंट रहकर सामान्य वर्ग के मतदाताओं ने डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का खेल बिगाड़ दिया।

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